कृषि कानून बिल क्या है ? मोदी सरकार का किसान हित में बड़ा फैसला, 3 कृषि कानून बिल वापस लिये जायेंगे

कृषि कानून बिल: नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने किसान आन्दोलन के आगे झुकते हुए 3 Bills For Farmers (3 कृषि कानून) को वापस लेने का निर्णय किया है ,Supreme Court on Farmers Bill पर काफी सख्त दिखी थी ।

इस किसान बिल के लागू होने पर किसान अपनी फसल का सोदा तथा समझौता फसल उगाने से पहले ही कर सकता है और फसल के लदान के समय ही व्यापारी को दो तिहाई राशी का भुगतान किसान को करना होगा , बाकि राशी का भुगतान 30 दिनों के भीतर भीतर करना होगा वरना व्यापारी के पेनल्टी लगेगी ।

इस आर्टिकल में हम आपको इस कृषि कानून बिल से सम्बन्धित सभी जानकारी जैसे Krishi kanoon Bill kya hai, और Three Laws Passed BY Government For Farmers का इतना विरोध क्यों हुआ, इत्यादि संक्षिप्त रूप देने जा रहे है इसीलिये आप कृषि कानून बिल की Hindi में जानकारी के लिए हमारे इस आलेख को आप अंत तक जरुर पढ़े ।

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क्या है कृषि कानून बिल ?

भारत की लोकसभा में केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए 3 Laws of Farmers Bill (3 कृषि कानून किसानों के लिए) लेकर आई थी । यह विधेयक लोकसभा के (india.gov.in) मानसून सत्र में पेश किये गये थे इसलिए इन्हें पेश करते ही इसका विरोध शुरू हो गया था । इन बिलों के तहत 3 कानून पेश किये गये थे जिनके तहत पहला था कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य(संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 तथा दूसरा था मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 और तीसरा था आवश्यक वस्तु संशोधन बिल

कृषि कानून बिल

हालाँकि यह बिल किसानों के हितों को देखते हुए लाये गये थे लेकिन भारतीय राजनीति इस मुद्दे पर काफी गर्मा गई व भारतीय किसान आन्दोलन (Peasant Movement) शुरू हो गया । पंजाब राज्य तथा महाराष्ट्र राज्य में इन कानूनों के विरोध में किसानों ने प्रदर्शन करने शुरू कर दिए । पंजाब राज्य की और से अकाली दल की हरसिमरत कौर ने केंद्र सरकार के केबिनेट के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तथा इस आन्दोलन में शामिल हो गई । इस आन्दोलन में विपक्षी दल भी शामिल हो गये ।

कृषि कानून बिल 2021 का वर्णन

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 – इस कानून के तहत किसान अपनी फसल को बिना किसी रोक टोक के किसी भी राज्य में अपनी इच्छानुसार किसी भी जगह पर अपनी फसल बेच सकतें है या फसल खरीद सकतें है । इस कानून का मतलब है की APMC के दायरे के बाहर जाकर भी फसल खरीदी व बेचीं सकती है । तथा फसल को ऑनलाइन भी बेचा जा सकता है साथ ही कोई टैक्स भी नही लगेगा ।

मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 – के तहत अनुबंधित खेती को बढ़ावा देना यानी की कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत फसल खराबा होने पर नुक्सान की भरपाई कंपनिया करेंगी ना की किसान तथा इस कानून के तहत बिचोलिया सिस्टम खत्म किये जाने का उदेश्य था ।

आवश्यक वस्तु संशोधन बिल – इस कानून के तहत खाद्य वस्तुए जैसे आलू, प्याज, अन्य सब्जियों खाद्य पदार्थों पर लगी स्टॉक लिमिट इस कानून के तहत हटाई जाने वाली थी, किसी विशेष कारणवश जैसे राष्ट्रिय आपदा, अन्य कारणों पर स्टॉक लिमिट लगाई जा सकती है , उत्पादन, स्टोरेज और वितरण पर सरकारी नियंत्रण खत्म किया जायेगा । वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स या प्रोसेसर के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक लिमिट लागू नहीं होगी ।

कृषि कानून बिल का विरोध क्यों ?

इस कृषि कानून बिल का विरोध इसीलिए हो रहा है की मंडियों का पतन इन कानूनों से निश्चित है अर्थात बिचोलियों का अस्तित्व इन कानूनों से खतरें में आ गया है क्योंकि इस कानून के तहत किसान अपनी फसल देश के किसी भी राज्य में बिना किसी टैक्स तथा बिना रोक टोक के बेच सकतें जिससे मंडियों तथा बिचोलियों को लगने लगा की फसलें अगर खुले में तथा अन्य राज्यों में बिकने के लिए जाने लगी तो इनका अस्तित्व खतरें में आ जायेगा ।

और किसानों को यह डर है की यह कानून लागू होने पर इसकी कोई गारंटी नही है की सरकार न्यूनतम मूल्य पर फसलें खरीदेंगी हो सकता है फसलें MSP से नीची चली जाएँ इसीलिए इन कानूनो का इतना विरोध हो रहा है ।

तीनो कृषि कानून बिल वापस लेगी मोदी सरकार

552वें प्रकाश पर्व यानी गुरु नानक जयंती के अवसर पर भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को सम्बोधित करते हुए अपनी सरकार द्वारा लाये गये तीनो कृषि बिलों को वापस (Farm Laws Repeal) करने का फैसला लिया है ।

इन तीनो बिलों को वापस करने के लिए भारत के किसानों ने दिल्ली बोर्डर पर लगातार आन्दोलन किये थे । मोदी जी ने कहा की हम देश के किसानों को समझा नही सके इसीलिए ये सभी कानून हम वापस ले रहें है ।

में ये कृषि कानून बिल इसलिये लाया था क्योंकि मेने अपने पांच दशकों के कार्यकाल में किसानो की समस्याओं को देखा तथा समझा था और उन्हें ही मद्देनजर रखते हुए ये कानून लेकर आया था लेकिन अब किसानो के विरोध को देखते हुए ये बिल हम वापस ले रहें है।

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